हमारा परिचय

पूरे भारत वर्ष के लिए लो चिल्लिंग HRMN-99 सेब विकसित करने वाला सर्वप्रथम किसान

हरिमन शर्मा का परिचय

श्री हरिमन शर्मा का जन्म 4 अप्रैल, 1956 को श्री दयाराम, ग्राम गलासीं, डाकघर दाभला, तहसील घुमारवीं, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश के घर हुआ। मात्र तीन दिन के थे तो इनकी माता जी स्वर्ग सिधार गई, जिस कारण श्री रिडकु राम, ग्राम पनियाला, डाकघर कोठी, तहसील घुमारवीं ने इन्हें गोद पुत्र लिया जहां इनका पालन-पोषण हुआ। इन्होने मैट्रिक तक शिक्षा ग्रहण की। कृषि क्षेत्र में विशेष रूचि रखते हुए नए-नए तजुर्बे कर श्री हरिमन ने जिला बिलासपुर में सेब का सफल उत्पादन किया व इसके साथ-साथ उन्होने एक ही खेत में सेब, आम, अनार, लीची, खुमानी, कीवी का उत्पादन करने में सफलता पाई। श्री हरिमन ने अब तक प्रदेश के सात जिलों – कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना, सोलन, मंडी, सिरमौर व चंबा में, निजी पहल कर बागवानों को सामान्यतः ऊंचे क्षेत्रों में होने वाले सेब के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा से इन जिलों में बागवानों ने एक लाख सेब के पौधे लगाए हैं जो सफलतापूर्वक फल दे रहें हैं।

प्रचार-प्रसार बढ़ जाने के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने इन्हें बोर्ड ऑफ मनेजमेंट डा0 वाई0 एस0 परमार यूनिवर्सिटी नौणी सोलन में प्रशासकीय विभाग में सदस्य नियुक्त किया है। राष्ट्रीय नव परिवर्तन प्रतिष्ठान के वैज्ञानिकों ने HRMN-99 किस्म पर शोध कार्य किया व भारतवर्ष के सभी 29 राज्यों में पौध रोपण करवाया जिन में से 23 राज्यों में HRMN-99 किस्म ने फल देना शुरू भी कर दिया है। यही नहीं बंगला देश, नेपाल, जर्मनी, जांविया में भी पौधे सफलता पूर्वक फल दे रहे हैं। वर्तमान में हरिमन शर्मा जी रिसर्च काउंसिल डॉ० वाई ० एस ० परमार वानिकी एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय नौनी, सोलन और एकीकृत उद्यान विकास मिशन हिमाचल प्रदेश सरकार की राज्यस्तरीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं।

प्रस्तावना

वर्ष 2005 तक किसी ने भी यह नहीं सोचा था की बर्फीली पहाड़ियों पर तैयार होने वाला फल सेब निचले हिमाचल प्रदेश जो की समुन्द्र तल से मात्र 700 मीटर ऊंचाई व 40 डिग्री से 46 डिग्री में तपती धरती पर भी सफलता पूर्वक आम व अनार के साथ तैयार हो सकता है। यद्यपि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा निचले हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती हेतु वर्ष 1965 में जिला सिरमौर में नाहन के पास बागथन नामक ऊंचाई मात्र 800 मीटर पर एक अनुसंधान केंद्र खोला गया था करोड़ो रुपये खर्च करने के दस वर्ष बाद वैज्ञानिकों को कोई सफलता न मिलने पर 1975 में यह प्रोजेक्ट बंद कर दिया गया।

नई खोज

गैर परंपरागत क्षेत्र में आम, अनार, कॉफी के साथ सेब की सफल खेती। हिमाचल प्रदेश के निम्न पहाड़ी क्षेत्रो में अत्यधिक मात्रा में कोहरा पड़ता है। क्षेत्र की मुख्य फसलें आम, पपीता, आंवला के पौधे कोहरे से नष्ट हो जाते हैं। सर्दी में सेब का पौधा सुप्तअवस्था में होता है अतः कोहरे को सहन करने की क्षमता होती है। एक बीज से पौधा सेब तैयार किया। पहले प्लम पर ग्राफ्टिंग की सफलता के बाद पौधा सेब (पाला) पर ग्राफ्टिंग की जिससे आकार, गुणवत्ता स्वाद पूर्णतया परंपरागत क्षेत्र के सेब की तरह।

हरिमन शर्मा

ग्राम पनियाला, डा0 कोठी, तहसील घुमारवीं
जिला बिलासपुर (हि0प्र0) 174021
दूरभाष: 70185-20244, 94188-67209, 98172-84251
Email: [email protected]
सदस्य : रिसर्च काउंसिल डॉ० वाई ० एस ० परमार वानिकी एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय नौनी, सोलन
एवं
एकीकृत उद्यान विकास मिशन हिमाचल प्रदेश सरकार की राज्यस्तरीय कार्यकारिणी समिति

जब यह खोज मीडिया के माध्यम से सारे प्रदेश में फैली तो विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित रह गए व विश्वास ही नहीं करते थे। इस पर मैंने 7 जुलाई 2007 को तत्कालीन माननीय मुख्य मंत्री श्री प्रेम कुमार धूमल जी को सचिवालय में 10 कि॰ग्रा॰ सेब 5 कि॰ग्रा॰ आम भेंट किए कि पनियाला जिला बिलासपुर जहां तापमान 40 से 45 डिग्री तक जाता है मात्र 700 मीटर की ऊंचाई पर भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। माननीय मुख्यमंती महोदय ने कृषि व वागवानी विभाग के उच्चधिकारियों की बैठक रखी व सभी को सेब खिलाया गया। दूसरे दिन निदेशक कृषि विभाग व निदेशक उद्यान विभाग अधिकारियों सहित हरिमन शर्मा फार्म पनियाला आए व वगीचे का निरीक्षण किया। व 15 अगस्त 2008 को माननीय मुख्य मंत्री महोदय द्वारा प्रेरणा स्त्रोत सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जिसके बाद यह सिलसिला आज तक जारी है। अब तक मुझे 15 राष्ट्रीय अवार्ड, 10 राज्य स्तरीय अवार्ड व 5 अन्य अवार्ड प्राप्त हो चुके हैं। जिन में प्रमुख हैं राष्ट्रीय नमोन्वेशी कृषक सम्मान, माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, भारत सरकार, वीयूनियल ग्रास रूट ईनोवेशन एण्ड आऊटस्टेडिंग ट्रेडीशनल नॉलेज अवार्ड राष्ट्रिय द्वितीय महा महिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी / भारतीय कृषि अनुसंधान व भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा आई॰ ए॰ आर॰ आई॰ अद्येता अवार्ड, केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज राज्य मंत्री श्री परषोतम रूपाला जी, अमित उद्यान रत्न अवार्ड केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री। प्राइड ऑफ पंजाब हरियाणा हिमाचल माननीय राज्यपाल श्री आचार्य देव व्रत जी, किसान वैज्ञानिक उपाधि डा0 एन0 एस0 राठोर, डिप्टी डायरैक्टर जनरल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, बेस्ट फार्मर अवार्ड, कृषि एवं किसान मंत्राल्य भारत सरकार कृषक सम्राट सम्मान राष्ट्रीय प्रथम मा0 कृषि एवं किसान मंत्री भारत सरकार, बेस्ट ग्रीन ग्रास रूट इनोवेटर अवार्ड कृषि मंत्री विहार सरकार, सर्व श्रेष्ठ बागवान पुरस्कार माननीय केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री भारत सरकार, जगजीवन राम कृषि अभिनव पुरस्कार डा0 टी0 महापात्रा डायरैक्टर जनरल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि मंत्राल्य भारत सरकार।

हिमाचल प्रदेश के सात गर्म जिलों में 6,000 किसानो ने अपनाया उद्यान विभाग व अनुसंधान केन्द्रों को 15,000 पौधे गैर सरकारी संस्थाओं को 10,000 पौधे।

प्रचार प्रसार बड़ जाने के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने मुझे बोर्ड ऑफ मनेजमेंट डा0 वाई0 एस0 परमार विश्वविद्याल्य नौणी सोलन में प्रशासकीय विभाग में सदस्य नियुक्त किया गया जहां मेरा परिचय बिलासपुर के प्रख्यात वैज्ञानिक डा0 पी0 एल0 गौतम (पूर्व अध्यक्ष पौधा किस्म और कृषक अधिकार सरंक्षण प्राधिकरण कृषि मंत्रालय भारत सरकार) से हुई जिन्होने वर्ष 2013 में मुझे राष्ट्रीय नव प्रवर्तन प्रतिष्ठान से जोड़ा। राष्ट्रीय नव प्रवर्तन प्रतिष्ठान के वैज्ञानिकों ने इस पर शोध कार्य किया व भारतवर्ष के सभी 29 राज्यों में पौध रोपण करवाया जिन में से 23 राज्यों में HRMN-99 किस्म ने फल देना शुरू भी कर दिया है। यही नहीं बंगला देश, नेपाल, जर्मनी, जांविया में भी पौधे सफलता पूर्वक फल दे रहे हैं। यानि इस किस्म के प्रचार प्रसार में राष्ट्रीय नव प्रवर्तन प्रतिष्ठान भारत सरकार का मुझे पूर्ण सहयोग मिला जिस के लिए राष्ट्रीय नव प्रवर्तन प्रतिष्ठान भारत का बहुत आभारी हू। राष्ट्रीय नव प्रवर्तन प्रतिष्ठान के सौंजय से राष्ट्रपति भवन में भी HRMN-99 किस्म का सफल पौध रोपण करवाया गया जो अब फल दे रहे हैं। अब भारत वर्ष के हर राज्य में किसानो को कूरियर सर्विसेज के माध्यम से पौधे भेजे जा रहे हैं। अब तक लगभग चार लाख सेब पौधे किसानों बागवानों व अनुसंधान केन्द्रों को रोपित करवाए जा चुके हैं।

एक दिन मैंने सोशल मीडिया पर पढ़ा की विदेशों में लो चिलिंग सेब पौधा होता है। मैंने 02.01.2010 को तत्कालीन मुख्यमंत्री को प्रार्थना पत्र दिया जिस पर माननीय मुख्यमंत्री के आदेशों पर 19.01.2010 को निदेशक उद्यान विभाग, निदेशक कृषि विभाग व प्रधान सचिव कृषि के साथ मेरी बैठक हुई जिसमें तय हुआ की विदेशों से लो चिलिंग किस्में मँगवाने का निर्णय हुआ जिस के फलस्वरूप प्रधान सचिव उद्यान हिमाचल प्रदेश सरकार के कार्यालय पत्र संख्या 19-7(IMP.FDJ-1-2007-2222. दिनांक 07.03.2011 को चार किस्में लो-चिल एप्पल मँगवाई गई जिन में अन्ना, डोरसेट गोल्डेन तो सफल हो गई मगर सुपर चीफ़ व स्कारलेट स्पर असफल रही।

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शोध

पूर्ण सफलता हासिल करने के बाद हरिमन शर्मा फार्म पनियाला पर भारतीय कृषि अनुसंधान अमरतारा शिमला व राष्ट्रीय नव प्रवर्तन प्रतिष्ठान भारत के वैज्ञानिक द्वारा दो वर्ष तक शोध व अनुमोदित किया गया।

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विशेषता

परंपरागत क्षेत्र का सेब जुलाई से सितंबर तक तैयार होता है मगर गर्म इलाके का यह HRMN-99 सेब जून में तैयार हो जाता है। उस समय बाज़ार में कहीं भी सेब का फल नहीं मिलता है जिस कारण यह बहुत अच्छे दामों पर बिकता है।

उपयोगिता

1. निम्न पहाड़ी क्षेत्रों के अत्यंत गर्म क्षेत्रों व भारत वर्ष के सभी राज्यों में जहां अब तक सेब का पौधा नहीं होता था वहाँ के किसानों को विविधता का बहुत अच्छा विकल्प मिला है।
2. यह वर्ष भर हरा होने के कारण पर्यावरण के लिए उपयुक्त है।
3. भारत सरकार का वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना कने के लक्ष्य में अति सहायक सिद्ध होगा क्योंकि यह पौधा 15-15 फुट की दूरी पर लगाया जाता है। इसके अलावा पौधों के बीच सब्जियाँ, चारा फसलें गेहूं, मक्का, दालों वाली फसलें लगा कर आय में बढ़ोतरी की जा सकती है।
लक्ष्य
सम्पूर्ण भारत में HRMN-99 के सेब के पौधे लगवाना व सेब युक्त बनाना।

नोट:    उपरोक्त सभी रिकॉर्ड उपलब्ध हैं।

भारतवर्ष के सभी किसानों-बागवानों से अपील

HRMN-99 की अपार सफलता को देखते हुए अब कुछ विक्रेता किसानों बागवानों को गुमराह कर लूट रहे हैं कि हमारे पास HRMN-99 किस्म के पौधे हैं जो कि सरासर गलत है। कई विक्रेता HRMN-99 के फर्जी पौधे बेच कर किसानों व बागवानों को ठग रहे हैं, अतः सभी किसान व बागवान बंधुओं से निवेदन है की कोई विक्रेता हमारे अलावा HRMN-99 के पौधे आपको उपलब्ध करवाने को कहे तो कृपया उससे पक्का बिल जरूर मांगे। HRMN-99 किस्म पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, कृषि मंत्रालय भारत सरकार व राष्ट्रीय नव प्रवर्तन प्रतिष्ठान विज्ञान एवं प्रयोद्यिकी विभाग भारत सरकार के कार्यालय पत्र संख्या डी॰एस॰डी॰/2020/128155 दिनांक 07.09.2020 के HRMN-99 किस्म पौधे तैयार करने का एकमात्र अधिकार हरिमन शर्मा का ही है। अतः डुप्लीकेट विक्रेताओं से सावधान रहें जो धन अर्जित करने के लिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं ।

हरिमन शर्मा ऐप्पल नर्सरी में बड़े पैमाने पर लो-चिलिंग सेब की तीन किस्में HRMN-99, अन्ना (Anna), डोरसेट गोल्डेन (Dorsett Golden) के पौधे 70/- रूपये प्रति पौधा सिडलिंग पौध पर ग्राफटेड व 270/- रूपये प्रति पौधा टिसु कल्चर पौध पर ग्राफटेड उपलब्ध हैं।

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